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Friday 9 September 2016

How to change our negative think into the positive think

आखिर अपनी negative think को positive think में कैसे बदलें...???

कैसा हो..!!! अगर हम बुरी बातों में से भी अच्छाई को ढूंढ़ निकालें..!!!
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अगर बुरी बातों में से भी अच्छी बातें निकालने का माद्दा हमने पैदा कर लिया तो सोचो जिन्दगी कितनी खुशनुमा बन जाएगी..!!! है ना।
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चलो आज हम इसी topic को लेकर बात करते हैं कि आखिर बुरी बातों में से अच्छी बातें किस तरह निकालें और क्या सोचकर निकालें..???
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हम कुछ भी काम करते हैं तो लोगों के दो तरह के ही feedback होते हैं :-
1.negative
2.positive
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जो लोग आपके काम के लिए आपको positive feedback देते हैं, तो आप उन लोगों का welcome कीजिये क्योंकि वो आपके काम के प्रति आपका confidance बढ़ाते हैं।
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और जो लोग आपके काम के प्रति हमेशा ही negative feedback देते हैं तो ऐसे लोगों से आपका confidance थोड़ा loose हो जाता है और आप अपने काम के प्रति थोड़ा लापरवाह हो जाते हैं।
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ऐसा ही एक बार मेरे साथ भी हुआ।।।.
मैं regular newspaper और internet पर upload हुए good article को पढ़ा करता था लेकिन कभी उन article को follow नहीं करता था क्योंकि मैं सोचता था कि ये article follow करने के लिए नहीं बल्कि किसी और को story के तौर पर सुनाने के लिए होते हैं।
आज मुझे अफ़सोस होता है कि कितना गलत था मैं..!!!
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जिस दिन मुझे अहसास हुआ तो मैंने भी अपने मन में ठान लिया कि आज से जिन article को मैं पढूँगा उन्हें जितना हो सकता है follow करने की कोशिश करूँगा...!!!
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एक दिन मैंने helmet सम्बन्धी article को पढ़ा और decide किया कि आज से मैं हमेशा ही helmet लगा कर चलूँगा।
और चलता भी हूँ।
लेकिन फिर वही; मेरे इस काम के लिए मुझे negative और positive feedback मिलने लगे।
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कोई कहता कि थोड़ी दूर के लिए क्या helmet लगाकर जाते हो..!!! पागल हो क्या...???
तो कोई कहता कि अरे वाह...!!! बड़े क़ानून का पालन करने वाले बन गए हो, जैसे तुम्हारे लगाने से ही सब लोग हेलमेट लगाने लगेगें।
तो कोई कहता कि क्या तुम्हें helmet लगाना कुछ अजीब नहीं लगता.....वगैरह वगैरह।
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ये ऐसे लोग होते हैं जो खुद तो helmet लगाते नहीं और जो लगाते हैं उनके अन्दर भी ऐसी negativity भर देते हैं कि शायद वो भी helmet लगाना छोड़ दें।
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एक दिन मैं और मेरे 3 दोस्त अपनी-अपनी दो bike पर सवार होकर कहीं जा रहे थे।
(मेरे पास helmet था और मैं helmet लगाये हुए था दूसरी bike पर भी मेरे दोस्त के पास helmet था लेकिन उसने पीछे बैठे दूसरे दोस्त को पकड़ा रखा था। शायद वो सिर्फ police से बचने के लिए helmet use करते थे।)
तभी अचानक रास्ते में एक दोस्त को प्यास लगी और हम रुक गए, पानी पीकर हम फिर से चलने लगे लेकिन पता नहीं क्यों अचानक मेरे सिर में खुजली (itchy) होने लगी तो मैंने भी helmet को पीछे बैठे हुए अपने दोस्त को पकड़ने को कहा।
उसे पता था कि मैं हमेशा helmet लगाकर चलता हूँ तो वो बोला कि नहीं भाई helmet लगाओ..!!!
तुम तो कानून का पालन करने वाले हो ना..!!!
तो आज कैसे बिना helmet के bike चलाने की सोच रहे हो?
मैंने कहा कि यार आज सिर में खुजली हो रही है पकड़ ले ना please.
लेकिन उसने मेरी एक ना मानी और बोला कि सिर खुजलाकर फिर से लगा लो।
गुस्सा तो बहुत आया लेकिन मरता क्या ना करता वाली बात थी।
मैंने सिर खुजलाकर वापस helmet लगा लिया और फिर सोचने लगा कि ये कैसी मुसीबत को follow कर रहा हूँ मैं।
जब helmet लगाने की इच्छा ना हो तब भी मेरे कमीने दोस्त मेरे सिर पर रख ही देते हैं। और वो भी वह दोस्त जो खुद तो helmet लगाते नहीं पर मुझे जरूर लगवाते हैं।
ये सोचकर ही मेरा गुस्सा एकदम शांत हो गया क्योंकि अपनी इच्छा से तो सभी helmet लगाते हैं लेकिन जब इच्छा ना भी हो तब helmet लगाओ तभी सही मायने में कानून का पालन करना माना जाता है। जो मेरे प्यारे दोस्तों ने जाने अनजाने में मुझे सिखाया है, मैं उनका हमेशा आभारी रहूँगा क्योंकि उन्होंने जाने-अनजाने में ही सही लेकिन उन्होंने मुझे एक बहुत ही अच्छी सीख दी है जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा।
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इसलिए दोस्तों जितना हो सके आप अच्छी बातों का पालन करो फिर आगे चलकर आप अच्छी बातों का पालन करना नहीं भी चाहोगे तो आपके दोस्त और रिश्तेदार आपसे करवाएंगे तो आप उनकी comments को negativity के तौर पर नहीं positive सोचकर ग्रहण करो तभी सच्चे मायने में आप अच्छी बातों का अनुसरण कर पाओगे।
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helmet सम्बन्धी वो article मुझे इतना पसंद आया कि उसके ऊपर मैंने भी एक blog लिख डाला; जो शायद आपने पढ़ा हो अगर नहीं पढ़ा तो...
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अब ये आपके ऊपर depend करता है कि आप इस blog को सिर्फ एक story समझकर ignore करते हो या फिर इसमें से helmet लगाने जैसी positive बातें निकालकर follow(अनुसरण) करते हो।
जय हिन्द।

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