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Wednesday 26 October 2016

माँ के लिए वास्तविक और दिखावटी प्रेम

माँ के लिए वास्तविक और दिखावटी प्रेम


कुछ वर्ष पहले बहुत खुश थी वो माँ; जो अपने बच्चों को लोरियां सुनाकर सुला देती थी।
बहुत खुश था वो बच्चा जिसे माँ की लोरियाँ किसी टॉफ़ी से अधिक प्यारी लगती थीं।
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समय गुजरता गया; बच्चा बड़ा होता गया और माँ की लोरियों की जगह television ने ले ली।
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अब वही बच्चा शाम को माँ की लोरियों की जगह; television पर cartoons को देखते-देखते सोने लगा।
अब शायद वो बच्चा माँ की वही लोरियाँ बार-बार सुनकर थक गया था; शायद इसीलिए उसने लोरियों की जगह cartoons को दे दी।
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खैर; समय और गुजरा; बच्चा और भी बड़ा होता गया और फिर television की जगह smartphone ने ले ली।
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अब वही बच्चा शाम को tv पर cartoons की जगह; पिता से मोबाइल लेकर games खेल-खेलकर सोने लगा।
अब शायद वो बच्चा tv पर cartoons देख-देखकर bore हो गया था ; शायद इसीलिए उसने cartoons की जगह games को दे दी।
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खैर; समय और गुजरा और वो बच्चा; अब बच्चा नहीं रहा बल्कि एक बालिग बन गया था और उसके पास खुद का एक smartphone आ गया था।
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फिर उस बच्चे का संपर्क games की दुनियाँ से भी टूटकर; internet से जुड़ा।
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और जब संपर्क internet से जुड़ गया है तो भला social media से कैसे अछूता रहा जा सकता है।
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Social media (facebook+whatsapp) पर उसने अपना account बना लिया और धीरे धीरे वो अपनी माँ से दूर होता गया और उसकी आँखे नए नए लोगों को ढूंढने लगीं।
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उसकी माँ बार-बार उसे खाना खाने के लिए कहती और वो; "बस माँ दो मिनट" कहकर आधा घंटा निकाल देता।
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जो माँ पहले लोरियाँ सुनाकर बहुत खुश होती थी; अब वही माँ ये सोचकर दुःख रहती है कि मेरा बेटा मोबाइल पर आखिर ऐसा क्या करता है जो उसे खाना खाने के लिए भी इन्तजार करना पड़ता है।
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माँ कभी-कभी उससे कहती भी थी कि कुछ और भी कर लिया कर, इस तरह मोबाइल का कीड़ा बनना अच्छी बात नहीं।
लेकिन उस पर माँ की बातों का असर होता ही नहीं था, वो माँ की बातों को एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देता था और फिर से अपने कामों (facebook और whatsapp) में busy हो जाता।
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वैसे real में वह माँ के लिए समय भले ही ना निकाल पा रहा हो लेकिन facebook और whatsapp पर माँ के लिए उतना ही बढ़ गया था।
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फिर वो social media पर regular ही माँ के ऊपर बनी post को पढ़ने लगा, like करने लगा और तो और; comments में i love my mom भी लिखने लगा था।
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सच कहें तो वो सिर्फ लिखता ही था, social मीडिया पर जितना प्यार वो माँ के लिए दिखा रहा था ना...!!
reality में अगर वो उसका 50% ही प्यार माँ को देता....तो उसकी माँ के लिए उसका बेटा "मोबाइल का कीड़ा" ना बनता।
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खैर; क्या आप जानते हैं कि ये किस लड़के की कहानी है।
ये किसी और लड़के की नहीं बल्कि मैं सोचता हूँ कि ये हमारी और तुम्हारी ही कहानी है।
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जो अपना अधिकतर समय facebook और whatsapp पर ही बिताते हैं और वहाँ माँ के ऊपर बनी post पर i love my mom का comment भी चिपका देते हैं।
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अरे भाई...facebook पर तो i love my Mom का वो भी comment कर देगा; जो घर पर अपनी माँ से प्यार ना करता हो।
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शायद आज हर माँ के लिए उसका बेटा मोबाइल का कीड़ा बन गया है।
इसीलिए मेरा मानना है कि मोबाइल चलाओ;  लेकिन उतना ही कि आप अपनी माँ की नजरों में उनके बेटे ही रह सको; ना कि एक मोबाइल के कीड़े😏😏..!!!
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So friends, मेरे कहने का मतलब यही है:_
"वास्तविक प्रेम वह नहीं है जो हम माँ के प्रति online (facebook+whatsapp पर) बयाँ करते हैं।"
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"वास्तविक प्रेम तो वो है जब हम offline; माँ के साथ बैठकर उन्हें अपना वास्तविक समय देते हैं।"
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इसलिए जब फुर्सत हुआ करे तब माँ के साथ बैठ लिया करो यारो..!!!
क्या पता कल को हमारे इस तरह online रहने से माँ हमसे रूठ जाये और हम facebook पर फिजूल ही दिखावटी प्रेम और i love my mom के comments करते रहें।
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इस blog में मैंने बहुत सारी कड़वी लेकिन सच्ची बातें लिखी हैं अगर फिर भी किसी की भावनाओं को हमारे शब्दों से चोट पहुँची हो तो मैं माफी मांगता हूं।
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कृपया अपने comments द्वारा बताइये कि ये blog आपको कैसा लगा..???
हो सकता है कि मैंने अपने blog में कुछ गलतियाँ की हों क्योंकि मैं अभी एक नया blogger हूँ।
इसीलिए आपका फर्ज बनता है कि उन गलतियों को अपने comments के जरिये बताएं।
और मुझे; और भी article लिखने के लिए प्रोत्साहित करें।
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जय हिंद।

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