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Tuesday 4 October 2016

The worship of God...

भगवान की आराधना
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आज की दुनियाँ में सभी अपनी मर्जी के मालिक है, सभी स्वतन्त्र हैं, जिसकी जो इच्छा होती है वो वही करता है।
यही वजह है कि कोई भगवान को मानता है तो कोई नहीं।

वैसे बचपन से मेरे परिवार वालों ने मुझे बताया कि भगवान होता है तो मैं भी भगवान की पूजा करने लगा।
कभी-कभी मैं अपने मार्ग से भटक जाता था और भगवान की पूजा नहीं करता था।
ऐसा इसलिए होता क्योंकि कभी-कभी मैं news में पढ़ लेता था कि एक family मंदिर; भगवान की पूजा करने जा रही थी और अचानक ही रास्ते में एक बस उन्हें ठोककर चली गई।
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ये सुनकर मेरा मन विचलित हो जाता था और फिर मैं भगवान की पूजा नहीं करता था इस पर घरवाले मुझे समझाते कि वो accident इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने कहीं ना कहीं गलती की होगी।
कैसे भी मेरी family मुझे समझा-बुझाकर भगवान की पूजा करने के लिए मना लेती थी।
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एक दिन फिर ऐसा आया कि मैंने भगवान की पूजा करना छोड़ दिया और फिर से मेरी family मुझे मनाने लगी लेकिन इस बार मैंने उनकी एक ना सुनी।
क्योंकि इस बार जो accident हुआ वो किसी और के साथ नहीं बल्कि मेरे साथ ही हुआ।
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हुआ यूँ कि हम कुछ दोस्त; एक बार नवरात्रि में माता जी के मन्दिर पर; अपनी साइड में; पैदल-पैदल जा रहे थे कि अचानक से पीछे से दो शराबी(जो bike पर थे) आये और मुझे पीछे से ठोकर मार दी जिससे मेरे पैरों में कुछ चोट आ गई थी।
अगर हम सभी दोस्त चाहते तो उनकी अच्छी तरह से मरम्मत भी कर सकते थे लेकिन वो इसलिए नहीं की क्योंकि हम सभी लोग शुभ कार्य करने मंदिर जा रहे थे।
और रास्ते में ये मारपीट करना हमें शोभा नहीं देता।
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खैर, जब वापस घर आये तो दर्द कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था और उस शराबी से ज्यादा मुझे भगवान पर गुस्सा आ रही थी।
क्योंकि मैं कोई disco में नाचने नहीं जा रहा था बल्कि अच्छे काम के लिए; माता के दर्शन करने जा रहा था।
फिर मैंने decide किया कि अब बहुत हुआ मैं अब भगवान की पूजा नहीं करूँगा।
इसीलिए मैंने फिर अपनी family की बातों को भी ignore कर दिया।
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आखिर 2-4 महीने भगवान से नाराज रहने के बाद घरवालों ने मुझे फिर से समझाया कि नास्तिक ना बनो भगवान की पूजा करना जरूरी है क्योंकि इससे हमें सद्बुद्धि मिलती है और हमारे साथ बुरा नहीं होता।
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घरवालों के इतना समझाने के बाद मैंने फिर से उनकी बात मान ली और शाम को regular भगवान की पूजा करने की आदत डाली ही थी कि फिर से एक और accident...
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इस accident ने अब मुझे पूरी तरह नास्तिक बना दिया था ऐसा नास्तिक कि मैं दूसरों को भी suggest करने लग गया कि वो भगवान की पूजा ना करें वरना उनका भी accident हो जायेगा।
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अब मैं जो लिखने जा रहा हूँ उसे पढ़कर या तो आप मुझे आप पागल बोल सकते हो या फिर मुझ पर हँस भी सकते हो क्योंकि मुझे अभी तक खुद पता नहीं चला कि मैं भगवान को मानता हूँ अथवा नहीं।
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वैसे सब कुछ भुलाकर; अगर आज की बात की जाए तो मैं फिर से भगवान की पूजा करने लगा हूँ और इसके लिए मुझे अब ना तो मेरी family ने force किया है और ना ही मेरे दोस्तों ने...!!!
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अब life में कुछ भी हो जाए मैं भगवान की पूजा करना नहीं छोडूंगा और ये मेरा अटल फैसला है।
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मैं भगवान की पूजा; ना तो दुनियाँ के डर से करता हूँ और ना ही भगवान से कुछ मन्नत माँगने के लिए।
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मैं भगवान की पूजा इसलिए करता हूँ ताकि मैं हमेशा ही बुरे कर्मों से दूर रह सकूं।
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एक पुजारी, जो दिन-रात मंदिर में भगवान की पूजा करता है वो कभी किसी के साथ गलत काम नहीं कर सकता क्योंकि गलत काम करने के लिए उसे time ही नहीं मिलता है।
और जब वो किसी के साथ गलत करता है तो उस वक्त वो भगवान की पूजा नहीं कर रहा होता है।
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दो दोस्त, रास्ते में एक-दूसरे से बुरे कर्म (गालियाँ) देते हुए जा रहे थे अचानक मंदिर मिलने पर वो गालियाँ छोड़कर भगवान के हाथ जोड़ने लगे और फिर मंदिर छोड़कर फिर से गालियाँ देने में व्यस्त हो गए।
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अब यहाँ notice करने वाली बात यह है कि जब तक उन्होंने भगवान के आगे हाथ जोड़े तब तक उनकी गालियाँ बंद थीं लेकिन जैसे ही मंदिर से बाहर निकले उनकी गालियाँ फिर से start हो गईं।
अगर वो पूरे दिन मंदिर में ही बैठे रहते तो शायद वो गालियाँ नहीं देते और बुरे कामों से दूर रहते।
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(ये blog आप technic jagrukta वेबसाइट पर पढ़ रहे हैं)
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हम सभी; बुरे कामों से बचने के लिए पुजारी की तरह सारे दिन तो भगवान की पूजा नहीं कर सकते लेकिन कुछ समय तो कर सकते हैं ताकि हम उस वक्त किसी से लड़ें नहीं, किसी से झगड़ें नहीं, किसी से गालियाँ ना दें और हर तरह के बुरे कामों से दूर रहें।
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ऐसा नहीं है कि हम भगवान की पूजा करते हैं तो भगवान हमारी मनोकामना पूरी कर देगा।
या फिर हमें accident से बचा लेगा।
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मनोकामना पूरी करने के लिए तो हमें कठोर परिश्रम ही करना होगा और accident से बचने के लिए हमें अपनी रास्ता सही से चलनी होगी।
बावजूद इसके अगर; accident होता है तो उसे सिर्फ एक इत्तेफाक समझ कर भूल जाना होगा।
उसके लिए भगवान को दोषी ठहराने से कुछ नहीं होगा क्योंकि accident का मतलब ही होता है कि अकस्मात् कोई घटना हो जाना तो उसमे भला भगवान क्या कर सकता है..???
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आप भगवान की कितनी ही पूजा क्यों ना करें आपको वो exam में भी तक pass नहीं करेगा जब तक कि आप मेहनत नहीं करोगे।
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हाँ इतना जरूर है कि भगवान की पूजा करते वक्त वो हमें बुरे कर्मों से दूर अवश्य रखता है।
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यही कारण है कि मैंने बुरे कामों से दूर रहने के लिए भगवान की पूजा करने का फैसला लिया है।
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अगर आप अभी भगवान की पूजा करते हैं तो ये अच्छी बात है लेकिन नहीं करते हैं तो आदत डाल लो क्योंकि बुरे कामों से दूर रहने का यह सही रास्ता है।
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अगर आप इस blog से सहमत या असहमत हैं तो हमें अपनी comments के जरिये अवश्य बताइए।
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जय हिन्द।
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5 comments:

  1. Vaise by the way I am agreed wd u BT the main prblm is we all are too much busy in our life ....so we have no time to pray for the god.....BT at last I want to add a point that once in a day we have to serve yourself in front of god...
    If I was right then plzzz replied me

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  2. Yes u r ri8 but we must some time to the worship of God bcoz without worship of God we are incomplete so that we compulssary to worship of God...
    Okk pradeep singh

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  3. Nice advise ki bhagwan ki POOJA mannat maangne ke liye nhi balki bure kaamon se door rahne ke liye karo

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  4. Yes....absolutely right bro & thanks

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  5. Yes....absolutely right bro & thanks

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