Pages

Monday 29 August 2016

Faith Vs superstition

विश्वास Vs अंधविश्वास

*****************************************
मत कर यकीन उन फिजूल अंधविश्वासों पर;
क्योंकि उनसे इंसान सिर्फ खोखला होता है।
यकीन करना ही है तो करो अपने कर्मो पर;
क्योंकि अच्छे कर्मों से ही इंसान महान बनता है।।
*****************************************
ब्रह्मांड में किसी भी चीज की कल्पना प्रायः हम उसके नाम के आधार पर कर लेते हैं फिर हमारे द्वारा की गई कल्पना से अगर उस वस्तु का मेल होता है तो वह कल्पना फिर यकीन में बदलने लगती है।
लेकिन महान तो वह लोग होते हैं जो किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान का मेल उसके नाम से नहीं बल्कि उसके काम और व्यवहार से करते हैं हालांकि किसी का नाम सुनकर काम और व्यवहार की कल्पना तो इन महान लोगों ने भी की थी लेकिन उनके द्वारा की गई वह कल्पना कहीं ना कहीं गलत साबित हो गई और इनके महान होने का का कारण भी वह गलत ही था; क्योंकि बिना गलती किए कोई भी व्यक्ति महान नहीं बनता।
अतः इस से यह तो स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति वस्तु या स्थान की कल्पना उसके नाम के आधार पर नहीं करनी चाहिए फिर चाहे वह कल्पना सही निकले या गलत।
खैर; जैसा की हम जानते हैं कि विश्वास और अंधविश्वास में काफी अंतर है।
विश्वास :-किसी के कहने पर कम लेकिन स्वयं के द्वारा उसके साथ बरतने पर किया जाए तो सही मायने में वही विश्वास है और इस विश्वास में बहुतर सच्चाई ही होती है।
इसके उलट;
अंधविश्वास :- किसी के कहने मात्र से ही हम किसी व्यक्ति या वस्तु पर विश्वास कर लें फिर भले ही हम उसके साथ ना बरतें हों और ना ही उसका कोई अनुभव या स्वभाव का पता हो; तो यही अंधविश्वास कहलाता है और अंधविश्वास में बहुतर भ्रम ही होता है।
अभी पिछले महीने की ही तो बात है जब मैं जल्दी जल्दी में घर से कहीं जा रहा था कि अचानक एक बिल्ली मेरा रास्ता काट गई हर बार की तरह मैंने इस अंधविश्वास को नहीं माना और बिना रुके ही अपने रास्ते पर चल दिया और आगे चलकर अपशकुनानुसार मेरे साथ हादसा (accident जैसा) हो गया।
हालाँकि हादसा तो कुछ बड़ा नहीं था लेकिन कहीं ना कहीं मैं इस अंधविश्वास में यकीन जरूर करने लगा था मैंने जब यह बात कुछ लोगों से share की तो कहीं ना कहीं वह भी इस अंधविश्वास में पूर्ण यकीन करने लगे थे।
मैंने उन लोगों के अंधविश्वास को बढ़ावा देकर शायद बहुत बड़ी गलती कर दी थी क्योंकि मैंने उन्हें यह यकीन दिलाया था कि आप ने जो (पूर्वजों से बिल्ली के रास्ता काटने के बारे में) सुना था वह सही था।
अब यहां मैंने भी अपनी कल्पना को यकीन का दर्जा दे दिया था जो शत-प्रतिशत गलत था; क्योंकि मैं भी उन लोगों की मंडली में शामिल हो गया था जो अंधविश्वास में यकीन रखते थे।
इस बात का एहसास मुझे तब हुआ जब Bike से मेरे एक दोस्त के साथ भी accident जैसा हादसा हो गया जब मुझे उसके accident का पता चला तो बहुत दुख हुआ।
मैं उस दुख में डूबा हुआ ही था कि अगले पल मुझे ख्याल आया कि ऐसा हादसा तो पिछली बार मेरे साथ भी हुआ था; कहीं इसका रास्ता भी तो बिल्ली ने.....!!!
में मैं दौड़ा-दौड़ा उसके पास गया; देखा तो उसके हाथ पैर में चोट आई थी; फिर मैंने अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए उसे पूछ ही डाला कि भाई कहीं तेरा रास्ता भी तो बिल्ली ने नहीं काटा।
वह बोला - नहीं तो..!!!
 मैं - तो फिर यह एक्सीडेंट कैसे हुआ..???
वह - क्या बताऊं यार!!! मैं जल्दी-जल्दी में था और मेरी bike भी speed में थी; इसलिए वो जल्दी-जल्दी में एक्सीडेंट हो गया।
फिर वह पूछने लगा कि तुम ये बिल्ली की क्या बात कर रहे थे..???
तो मैंने अपनी पूरी आप बीती सुना डाली।
जब उसने सुना कि मैं भी उस समय जल्दी में था तो वह हल्की सी मुस्कुराहट के साथ बोला कि भाई वह तुम्हारा accident किसी बिल्ली इल्ली की वजह से नहीं बल्कि मेरी तरह जल्दी-जल्दी में और स्पीड से बाइक चलाने की वजह से हुआ था।
वाकई ही मेरे को उसकी बात में दम लगा और फिर मैंने सिर्फ उसी अंधविश्वास को ही नहीं बल्कि ऐसे बहुत सारे अंधविश्वास थे; सभी को मानना छोड़ दिया।
जैसे कि छींक पर घर से बाहर ना निकलना; गले में बाबा जी का ताबीज धारण करना; विभूति खाना आदि सभी को मानना छोड़ दिया क्योंकि यह सभी अंधविश्वास सिर्फ तभी काम करते थे जब देश में जादुई परियां होती थीं, जिन्न और भूत होते थे और हर व्यक्ति के पास असीम शक्ति होती थी।
अब जबकि ऐसा कुछ नहीं है तो भला ये अंधविश्वास क्यों...???
जो आपके और आपके बच्चों को अन्दर से खोखला कर रहा है, डरा रहा है।
अगर आपको लगता है कि अब भी जादुई परियाँ होती है जिन्न, भूत होते हैं तो आप ख़ुशी-खुशी से इन अंधविश्वास को follow कर सकते हैं।
यह जरुरी नहीं है कि जिन लोगों का एक्सीडेंट होता है उन सभी का रास्ता बिल्ली ने ही काटा हो; और यह भी जरुरी नहीं है कि बिल्ली के रास्ता काटने के बावजूद भी जो लोग निकल जाते हैं उन सभी का एक्सीडेंट होता हो।
भाई एक्सीडेंट या कोई हादसा अंधविश्वास की वजह से नहीं यह होता है यह होता है तो सिर्फ इत्तेफाक से...!!!
इसलिए आज अंधविश्वासों का कोई मोल या मतलब नहीं है!!! बस आप अपनी रास्ता अच्छे से चलिए अंजाम भी अच्छा ही होगा।
वैसे मेरे अनुसार इन अंधविश्वासों को follow ना करो तो ही अच्छा है फिर आगे आपकी मर्जी...!!!
अगर आप इस लेख के बारे में कुछ comments करना चाहते हैं तो सोचिए मत; post कीजिये अपनी comments; और उसके दूसरे दिन अपनी    समस्या का solution लीजिये।
--------------------अतुल राठौर।

No comments:

Post a Comment