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Sunday 14 August 2016

Awareness is a term that makes us great

जागरूकता एक ऐसा शब्द - जो हमें महान बनाता है।

स्टोरी 01 :- 

वह एक 20 वर्ष का युवक था जो किसी होटल मैनेजर से बहस करने में उलझा हुआ था। सामान्य लोगों की तरह मुझे भी उस युवक की बहस बेमतलब लगी लेकिन उस बहस की सच्चाई तो मुझे तब पता चली जब वह मेरे साथ उस बस में चढ़ा जिसमें मैं यात्रा कर रहा था।
और इत्तेफाक से मेरे बगल वाली सीट पर बैठ गया।
थोड़ी देर यात्रा करने के बाद वह मेरे से कुछ बातें करने लगा तो मैंने भी दिलचस्पी दिखाते हुए उसे उसकी और मैनेजर के बीच हुई बहस का कारण जानना चाहा; तो उसने गर्व के साथ खुशी-खुशी वह कारण बताना शुरू कर दिया :- "जब बस होटल पर रुकी तो मुझे भूख का आभास हुआ तो मैंने मैनेजर के पास रखी उस मेनू लिस्ट को देखा जिसमें ₹150 की 1 भोजन थाली थी; जिसमें शामिल 4 रोटी, दो सब्जी तथा सलाद लिखा हुआ था।
मैंने वह थाली आर्डर कर दी; जब थाली आई तो मैंने देखा कि सलाद के नाम पर तो सिर्फ प्याज ही थी और रोटियाँ भी सिर्फ तीन थी।
पहले एक पल के लिए तो सोचा कि चलो एक रोटी कम है एक से कुछ नहीं होता लेकिन अगले ही पल ख्याल आया कि ये तो सामान्यतः सभी लोगों की सोच रहती है; आखिर यह ठीक नहीं अगर हम पढे लिखे लोग जागरुक नहीं होंगे; तो ये होटल संचालक लोग अपनी मनमानी करते रहेंगे।
इस मनमानी को रोकने के लिए मैं सीधा मैनेजर के पास गया और सभी ग्राहकों के समक्ष मैंने मैनेजर के सामने अपनी बात रखी; और कहा कि ₹150 की थाली होने के बावजूद भी हमें चार रोटी के नाम पर है सिर्फ तीन रोटी दी जा रही हैं।
हालांकि सभी ग्राहकों के समक्ष मैंने ये बात कही थी तो मैनेजर यह मानने को तैयार नहीं हुआ कि मुझे सिर्फ तीन रोटीं ही दी गई हैं।
और वह मुझ से बहस पर उतारू हो गया लेकिन मैं भी अपनी बात पर अडिग रहा।
तभी मेरी जागरूकता से संतुष्ट होकर एक व्यक्ति हाथ में थाली लिए उपस्थित हुआ और सभी को उस थाली की दाल को सुंघाते हुए बोला कि इन भाई साहब (मतलब मेरी) की बात सही है और आखिर यह दाल भी तो ताजी नहीं है बदबू दे रही है यह सुनकर तो मानो होटल मैनेजर के होश उड़ गए; और उड़ते भी क्यों नहीं अगर फिर कोई दूसरी टिप्पणी करता तो तीसरा ग्राहक न जाने क्या लिए पहुंच जाता!!! आखिरकार मैनेजर शर्म से पानी पानी हो गया और अपने होटल कर्मचारियों द्वारा की गई गलती की क्षमा मांगी और सभी कर्मचारियों को आदेश दिया कि आगे से ऐसा न करें।"
बस यही बहस हुई थी मेरी उस मैनेजर के साथ और इतना कहते हुए युवक मेरे से बोला कि मैंने कुछ गलत तो नहीं किया भाई!!!
इस पर मैंने उसके आत्मविश्वास को बढ़ावा देते हुए कहा कि तुम्हारे जैसा जागरुक हर व्यक्ति हो जाए तो देश में भ्रष्टाचार पनप ही नहीं पाए।
फिर वह मेरे को धन्यवाद देते हुए हमारी भी कोई स्टोरी जाने की चेष्टा करने लगा।
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दोस्तों यह छोटी बात हो सकती है; यहाँ बात सिर्फ एक रोटी की नहीं जागरूकता की है।
इसलिए ऐसी छोटी छोटी बातों को हमें नजरंदाज नहीं करना चाहिए।
अगर अगली बार मौका पड़े तो हमें हमारा वह छोटा सा हक़ भी छीन लेना चाहिए।
जय हिन्द। 

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